कैसी विडंबना है न की लोग कहते हैं है हम एकदम परफेक्ट हैं और अगर ऐसा है तो क्यों तलाशते है अपनी ख़ुशी किसी औए के साथ ।कही न कहीं अपूर्णता तो है न जिन्दगी में तभी तो निकल पड़ते है तलाशने ।उस अपूर्णता को पूर्ण करने के लिए ।इन्हें कभी कभी तो खुद समझ नहीं आता की उन्हें चाहिए क्या।
जिन्दगी में सब चाहिए प्यार दुलार और अपनापन आपसी समझपप पर ये कहावत भी सटीक है न की किसी को मुक्कम्मल जहाँ नहीं मिलता ।तो फिर क्यों है ये अंधी दौड़
क्यों भीड़ में रहकर भी अकेला है ।
जरा सोचिये
Monday, January 13, 2014
ज़रा सोचिये
Thursday, January 2, 2014
कैसा था वो प्यार
कैसा था वो इश्क जो हम तुमसे करते थे
तेरी हर बात पे हम जीते और मरते थे
कहाँ गयी वो यादें कहाँ गए वो दिन
जब तुझसे मिलने को रात के सफ़र से गुजरते थे
हर दिन सुबह आइना देख के मुस्कुराते थे
और तुझसे मिलने सज संवर के जाते थे
हर समय बिना बात मुस्कुराते थे
और अगर कोई देख ले सहम जाते थे
आँखों में प्यार का काजल लगाते थे
और गालो पे चमक मुस्कुराहट से लाते थे
आज अभी याद आते हैं वो लम्हे मुझे
जब तुझे देखकर चौंक हम जाते थे
तेरी हर बात को दिल में बसा लेते थे
और तुझे घंटो बैठकर हम निहारा करते थे
बस तेरी एक नजर पाने को हर पल तरसते हैं
आज जब तू नहीं है पास तो ख्वाब देखते हैं
तुझसे मिलने की राह देखते हैं
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