Monday, July 21, 2014

तेरी याद

एक नमी सी मेरी आँखों में तुझ से दूर होकर रहती है
एक कमी सी है मेरे जीवन में जो मुझसे ये कहती है
के तुझ बिन कैसे जी रही हूँ कैसे सांस लेती हूँ
क्यूँ हर पल मैं तेरी यादों का दामन थाम लेती हूँ
मीलों का फासला है हमारे बीच फिर भी ये जुडाव कैसा
आँखों को रोशन करता है मेरी ये इश्क का उजाला कैसा
मन की मन से डोर बांध गयी बिना कुछ कहे ही
क्या कहूँ तुझसे जब तू मुझसे  कभी मिला ही नहीं
एक आस है तुझसे मिलने की इस दिल में एक विश्वास है
मुझसे मिलेगा तु शायद इस बात का हरपल अहसास है
कुछ नहीं कहूँगी तुझसे मिलकर मैं मौन रहूंगी
बस अपनी ख़ामोशी से ही मई सब कुछ कहूँगी
समझ लेना तुम मेरे नैनो की मूक भाषा
और दे देना नैनो से सी मेरे दिल को दिलासा
राखी शर्मा

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