Monday, August 25, 2014

किन्नर

न मैं नर हु न मैं नारी हूँ
मैं तो बस किन्नर हु
कितनी बेबस सी जिन्दगी मेरी
और कितना बेबस मैं खुद हु
हाँ मैं किन्नर हूँ
नाचता हु लोगो की खुशियों पर
ढोलक की थाप पे
देता हु दुआएं मैं सबको अपने दिल की
गहरयिओन से
मैं अपने घर बसाने में असमर्थ हूँ
हां मैं किन्नर हूँ
शादी और परिवार से महरूम हूँ
लोगों के मजाक का पात्र हु
लोगों की नजरों में अपने लिए प्यार ढूँढता हूँ
हाँ मैं किन्नर हूँ
राखी शर्मा

No comments:

Post a Comment