मैं और तुम जब साथ थे तो थे
हमारा बिछोह तो कब का हो चूका
और मैं और तुम अब अलग हैं
पर क्या भूल गए तुम
हमारा साथ बिताया समय
वो एक दुसरे से जुड़ाव
वो हमारा एक दुरे के लिए स्नेह
वो साथ खाना घूमना बातें करना
वो प्यार के सुनहरे पल
बिछड़ तो गए हैं हम पर क्या
दिल से जुदा हो पाए हम तुम
राखी जी!
ReplyDeleteआपकी कविताओं में जीवन स्पंदित होता है.कहीं उछाह, कहीं प्रवाह तो कहीं नियति का प्रभाव,कहीं संवेदना कहीं सद्भाव.है. मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
,