बचपन के दोस्तों की खुशबू अब भी बाक़ी है
उनके साथ वो मिट्टी में खेलने का अहसास तरोताज़ा है
एक दुसरे का हाथ पकड़ गलियों में घूमना
भाग कर हम सबका वो रेत पे कूदना
वो पहली बारिश में सबका भाग भाग के घूमना
वो गली के कुत्तों का घर बना के उनके साथ खेलना
वो कागज़ की नाव और हवैजहाज़ बनाना
वो हम सब छत पे जाके पतंग को उड़ाना
वो गलिओं में जाके बैट और बॉल खेलना
कहाँ गयी वो यादें कहाँ गए वो दिन
कहाँ खो गयी वो बचपन की खुशबू
राखी
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