Sunday, August 31, 2014

बचपन की खुशबू

बचपन के दोस्तों की खुशबू अब भी बाक़ी है
उनके साथ वो मिट्टी में खेलने का अहसास तरोताज़ा है
एक दुसरे का हाथ पकड़ गलियों में घूमना
भाग कर हम सबका वो रेत पे कूदना
वो पहली बारिश में सबका भाग भाग के घूमना
वो गली के कुत्तों का घर बना के उनके साथ खेलना
वो कागज़ की नाव और हवैजहाज़ बनाना
वो हम सब छत पे जाके पतंग को उड़ाना
वो गलिओं में जाके बैट और बॉल खेलना
कहाँ गयी वो यादें कहाँ गए वो दिन
कहाँ खो गयी वो बचपन की खुशबू
राखी

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