एक अजनबी से मेरी यूँही मुलाकात हो गयी
जिन्दगी के सफ़र में मैं उसके साथ हो गयी
मेरा हर दुःख मे मेरे हर सुख में शामिल है वो
मेरे हर दिल के बाग़ का माली है वो
वो जबसे मिला है खुद को भूल गयी हूँ
उसकी सुरमई आँखों में डूब गयी हूँ मैं
वो हर लम्हा मेरे साथ साए की तरह रहता है
तुम्हे छोड़कर नहीं जाऊंगा हर पल मुझसे ये कहता है
ये बंधन उससे न जाने मेरा कैसा है
जो किसी को समझ न आये शायद ऐसा है
वो अजनबी दोस्त जब से मिला है जिंदगी खिल गयी
मेरे खवाबों को उसके अहसासों के पंखों से उड़ान मिल गयी
जाने कैसा रिश्ता जुड़ गया है उससे मेरा
पल की खबर उसकी रखने को बेचैन रहता मन मेरा
न जाने ये कैसे अहसास मुझे में जागने लगे हैं
मुझे हर घडी उसी के ख्याल अब सताने लगे है
अजनबी होकर भी वो मुझे अपना सा लगता है
उससे रूबरू मिलना ही अब मेरे जीवन का सपना है
राखी शर्मा
Tuesday, September 16, 2014
एक अजनबी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment