Wednesday, September 17, 2014

रैनबसेरा

तेरा प्यार  एक रैन बसेरा ही तो है
जिसकी कसक खीच लाती है मुझे तेरे पास
और मैं बिन डोर खिची चली आती हु कुछ बल बिताने
तेरी बाँहों के उस रैनबसेरे में जो मुझे
पता है मेरा नहीं
पर फिर भी जो सुकून उन कुछ पलों में मिलता है
वो कहीं और कहाँ वो तो कहीं भी नहीं है
जिन्दगी के हसीं पल हैं गुजरते हैं तेरे साथ मेरे
जबकि मुझको भी ये पता है ये सब छण भंगुर है
पर फिर भी मुझे उन लम्हों को जीने की तलब है
और ये तलब तब तक रहेगी जब के मुझमे जान है
है तो तेरा प्यार रैनबसेरा पर इसमें ही मेरा जीवन है
और मैं कल्पना मात्र से पुलकित हो जाती हूँ
जब भी वहां रुकने की बात होती है
बस खुद से ये ही इल्तजा मेरी
कि इसका साया यूँ ही बना रहे।
राखी शर्मा

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