Saturday, September 20, 2014

क्यूँ है

वक़्त बहुत हो गया तुझसे मिले पर इन आँखों में तेरी तस्वीर क्यों है
तोड़ दिया जिसने दिल मेरा और यकीं मोहबत से वो आज भी प्यार के काबिल क्यों है
जिसकी यादो को चुन चुन के जीवनसे निकाल दिया मैंने
वो फिर भी मेरी जिन्दगी में शामिल क्यों है
उसकी चाहत रास न आई फिर भी मेरे दिल पर उसका असर क्यों है
ख़तम हो गया है जो मेल उस से पर आज भी जीवंत उसका प्यार मुझमे क्यों है
वो है भी नहीं मेरे आस पास पर मेरी रगों में दौड़ता उसका इश्क क्यों है
हर सवाल का जवाब है मेरे पास पर उसके सवाल पर मेरी जुबान चुप क्यों है
रखा नहीं उस से कोई रिश्ता मैंने पर उसकी याद में डूबा ये दिल क्यों है
बर्बाद कर गया वो मुझे इस क़दर पर फिर भी उस पर ये रहम क्यों है
क़ैद कर दिया मुझे उसे अपनी यादो में पर इस कदर टूट कर इश्क क्यों है
हर रोज जलती हूँ कतरा कतरा उसकी याद में
आज भी उसकी यादों का मुझपे हक क्यूँ है।
राखी

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