Friday, September 5, 2014

दर्द जिन्दगी है या जिन्दगी में दर्द है

जुदाई का एक नाम दर्द और मेरी जिन्दगी बस एक तुम
तुमसे दूर रहकर बन गयी है दर्द जिन्दगी
और तुम्हारे नाम पर जाने कितने दर्द दिए है इसने मुझे
तुम्हरे बिन तनहा अकेले जीने का दर्द
लम्हा लम्हा अपने आंसू पिने का दर्द
समझ में ही नहीं आया की जिन्दगी दर्द है या दर्द जिन्दगी
पर जो भी है बड़ी ही सिद्दत से इसने रुलाया है
कई अरसो से इसने गम को सिर्फ बढाया है
आलम  ऐ तन्हाई इस कदर हमको अब भाने लगी है
की साथ में कोई और हो तो हमको कोफ़्त होने लगी है
ये कैसा मंजर मेरी आँखों ने दर्द का देखा है
हर बार तूने दिया जो जख्म है वो अनोखा है
क्या फर्क पड़ता है अब की जिन्दगी में दर्द है
जिस गम में जी रही हूँ मैं मेरा लहू भी अब सर्द है
बस एक नन्ही जी जान है जो इस शारीर में व्याप्त है
कब निकल जाये पता नहीं क्युकी ऐसे ही हालात है
मशरूफ हूँ अब तो मै इस जिन्दगी को जीने में
गम और आंसू लिए अपने इस सीने में
कुछ  भी हो हमे जीने तो है ये जहर का घुट पीना तो है
अब तो तू जिन्दगी और तुही दर्द है
जिन्दगी में दर्द है चाहे दर्द में जिन्दगी है
राखी शर्मा

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