Sunday, September 7, 2014

भूख और रोटी

भूख और रोटी
कितना गहरा नाता है न इनमे
लगता है जैसे दोनों एक दुसरे की पूरक हो
कैसे आखिर इनके महत्व को नाकारा जाए
जब भूख लगती है रोटी की तो बस आदमी कितना बेबस हो जाता है
भूख ही तो है तो आदमी को कभी हैवान तो कभी शैतान  बना देती है
मैं पूछती हूँ क्या भूख केवल रोटी की है
नहीं भूख पैसे की भूख शोहरत की
भूख हवस की और भूख है अरमानो की
क्या इनसब की भूख केवल रोटी मिटा सकती है?
नहीं पर सबसे बड़ी भूख वो है जो पित में लगती है
जिसको सिर्फ और सिर्फ रोटी मिटा सकती है
और ये जो बाकि भूख हैं इनको तो खुद भगवान् भी नहीं मिटा सकता
क्युकी भूख एक बार जब लगती है तो फिर हर बार लगती है
चाहे वो भूख रोटी की हो या किसी और की
ये भूख ही है जो इंसान की फितरत को पल में बदल देती है
गौर कीजियेगा कि क्या मैं गलत कह रही हूँ...........?
राखी

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