Wednesday, November 19, 2014

तेरे प्यार का गीत जिंदगी की बांसुरी पे बजाऊं कैसे


तेरे प्यार का गीत मैं अपनी जिंदगी की बांसुरी पे बजाऊं कैसे
जो प्यार तेरे लिए इस दिल में है वो प्यार होंठो तक लाऊँ कैसे
दिल के सागर में जो लहरे उठ गयी हैं उन्हें किनारे तक ले जाऊं कैसे
हो गयी है तुझसे जो इतनी प्रीत उस प्रीत का फ़र्ज़ निभाऊं कैसे
कुछ रिश्तों का तो नाम ही नहीं होता मैं तेरा मेरा रिश्ता लोगों को बताऊँ कैसे
तेरे साथ जीने की ख्वाइश है तो तुजसे इतनी दूर होकर मर जाऊँ कैसे
हम दोनों कभी मिल पाएं कभी ये जरुरी तो नहीं और मिले बिना तुझसे रह पाऊं कैसे
आखिर ये दिल भी तो नादाँ है ज़िद करता हैअब तू ही बता इसे समझाऊं कैसे
तेरे प्यार की माला को अपने सगरिंगार का गहन मैं बनाऊ कैसे
ये जो ख्वाब देखती हैं मेरी आँखे उन ख्वाबों को अपनी आँखों से मिटाऊं कैसे
दिल के रेगिस्तान में बूंदे बनकर बरसता है तेरा प्यार मैं इसे रोक पाऊँ कैसे
तेरे प्यार की आहट जो दिल पे दस्तक देती है तू बता उससे अपना ध्यान हटाउ कैसे
जिन मुश्किल हो गया है मेरा तेरे बिन तू ही बोल तुझ बिन मैं जी पाऊं कैसे

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