Sunday, December 28, 2014

अब मैं लिखना सीख गयी हु


एक बात है जो कहनी है मुझे तुझसे
की तेरी ही तरबियत का असर है ये
जो मैं  कुछ लिखना सीख गयी हूँ
मुझे न तो शब्दों का पता है न उनकी समझ
पर उनको कविता की माला में पिरोना सीख गयी हूँ
कुछ तो तेरी रहमत है मुझ पर कुछ मेरा हुनर है
मैं अहसासों की लडिया बना सीख गयी हूँ
मैं एक अदना सी औरत कैसे किस तरह ये
शब्दों का ये रंगीन जादू करना सीख गयी हूँ
तुझे अहसास नहीं है पर ज़र्रा हूँ मैं इस माटी
और ज़र्रा ज़र्रा जोड़ जोड़ के महल बनाना जान गयी हूँ
करती हूँ बेबाक बातें औरअनकही बातें जाने अनजाने
उन बातों का मतलब क्या है अब  मैं पहचान गयी हूँ
मैं हल्का हो जाता मेरा जब तुझसे बात करूँ मैं
तूने ही मुझसे कहा था कहना तेरा मान गयी हूँ
बस ऐसे ही मुझसे तू यूँही जुडी रहना अब
स्नेह लुटाना माँ यूँही तेरी बाहों में आ जो गयी हूँ ।
राखी शर्मा

Wednesday, December 17, 2014

कैसी हैवानियत

कैसा जिहाद कैसे ज़िहादी इन्होंने तो इंसानियत की सीमा लांघ दी
आज क्यों है पाकिस्तान इतना ग़मगीन इन्होंने ही तो अपने घर इन्हें पनाह दी
हमेशा इसने हौसला ही बढ़ाया है इन आतंकियों का
आज इन पर पड़ी तो इन्होंने अपने आँखे गीली कर दी
भूल गए क्या 26/11 हम कैसे भूलते इनकी जो करतूत थी
संसद पे जो हमला कराया वो भी तो इन्ही की एक भूल थी
वो हम ही हिंदुस्तानी हैं जिनको गम है इनके मासूम के मरने का
नहीं तो इनकी इंसानियत तो चादर ओढ़ कर कहीं दूर जाकर सो रही
अब आँख न खुली इनकी तो लानत है इनपर और दो पनाह इन हैवानो को
तुम्हे तुम्हारे ही देश में मार डालेंगे ये आतंकी तोड़ डालेंगे तुम्हारे मकानों को
अब भी समय है सभल जाओ अब तो इनका साथ न दो इन्हें मिलकर मार गिराओ
अपने पैर की बेवाइ फटी तो हुआ न दर्द हम भी ये दर्द हरसू झेलते हैं
पल अपनों को खोने का दंश क्या होता है हम भी इसी को सोचते हैं
दुखद है ये जी उ होने मासूमों को मार डाला उन्होंने अपनी बुज़दिली का सबूत दे डाला।
राखी शर्मा

Friday, December 12, 2014

आ कहीं खो जाएं

आ मिल के हम दोनों साथ बैठ जाएं
नए ख्वाब कोई जिंदगी से चुन लाएं
एक दूसरे की बाँहों में कुछ यूँ खो जाएं
दुनिया से हम आज बेखबर हो जाएं
तू और में प्यार की धुन कोई गुनगुनाएं
सांसों से साँसे  रूह से रूह मिल जाए
आ मिल के हम प्यार का फूल अपने
इस दिल के चमन में खिलाएं
तू तू न रहे मैं मैं न रहूँ बस
मिलकर हम एक हो जाएं
आ आज प्यार को एक नई रह दिखाएँ
एक दूजे में हम कुछ यूँ खो जाएं
राखी शर्मा