Sunday, July 5, 2015

क्यों है तुझसे मोहब्बत

मुझे मोहब्बत तेरे मस्तक से नहीं उसकी चमक से है
मुझे मोहब्बत तेरी आँखों से नही तेरी कातिल नजर से है
नाक जिससे तू सांस लेती है मोहब्बत सांसो की खुशबु से है।
वो तेरे गुलाबी होंठ मोहब्बत मुझे उनमें बसने वाले रास से है
तेरी सूरत से मोहब्बत नही उस पर आने वाली दमक से है
वो तेरी सुराईदार गर्दन मोहब्बत उसमे पड़े तेरे हार से है
तेरे कानो में पड़ी बालियां मोहब्बत उनकी झंकार से है
तेरे हाथों पड़ी चूड़ियाँ मोहब्बत उनकी खनखनाहट से है
वो टी पायल है तेरे पैरों की मोहब्बत उनकी छमछामाहट से है
जब तू चलती गई बलखा के तो मोहब्बत तेरी चाल से है
दीवाना बना दिया है कसम से मोहब्बत तुझ बेमिसाल से है
न मुझे तेरे किरदार ऐ कुछ मतलब है नई तेरी ज़ात से ओ हसीना
मोहब्बत तुझसे जुडी हर छोटी बड़ी आम और ख़ास बात से है ।
मुझे मोहब्बत तेरे दिल से और तेरी आत्मा में बसने वाले हर जस्बात से है
राखी शर्मा

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