दिलकश हैं तुम्हारी आँखे बहुत जब भीं देखा इनमे डूब ही गया
कुछ तो रहम खाओ इस दीवाने पे मेरा तो सब कुछ तुमने लूट ही लिया
आँखों से मचाकर कत्लेआम पूछती हो मुझसे क्या खता हो गयी
दिल में इस कदर उतर गयी की लगता है जिंदगी तुम बिन सजा हो गयी
काजल जो लगाया तुमने चिलमन और ज्यादा सुर्ख और रंगीन हो गयी
तुम्हारी आँखे तो मेरे लिए जन्नत सी हसीन और तुम मेरे लिए हूर हो गयी
मेरी इल्तज़ा सुनती जाना ओ हसीना के तुम्हारी आँखे दिल में बस गयी हैं
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