Friday, September 11, 2015

इतना सा अफ़साना

छ लम्हे साथ जो बिताये हमने वो कैद है यादों में
जी थी जिन्दगी मैंने जो वो तेरे साथ जस्बातों में
वो रास्ते का सफ़र जब मैं तुम्हारे साथ थी
चली जब दोनों के दिलों में वो प्यार की बयार थी
नैनो ने नैनो की मौन भाषा बिन कहे ही समझ ली थी
कुछ इज़हार और इकरार की बातें हम दोनों ने जो की थी
बेपर्दा इश्क बिना कहे ही आँखों से ब्यान हो गया
मोहब्बत का अफसाना वो उस सफ़र में जवान हो गया
नर्म हाथों का स्पर्श मेरे हाथों पर आज भी वैसा ही है
इतने दिनों बाद भी प्यार का खुमार वैसा ही है
तू तो एक हवा का झोका था जो तूफ़ान बन के आया
मेरी रूह को तूने अपनी रिमझिम प्यार की बारिश से भिगाया
वो फ़साना प्यार का दिल में जिन्दा रहेगा मरते दम तक
जब भी तनहा होती हूँ मैं आवाज तेरी ही सुनती हु दूर तलक
पता है मुझे वो पलछिन अब लौट के फिर न आयेंगे
मेरे नैन शायद तुम्हे कभी देख न पाएंगे
अफसाना ये तेरी मेरी मोहब्बत का किसको सुनाऊ
कैसे मैं अपने इस दुखी दिल को तेरे बिना राहत दिलाऊं
काश के किस्मत वो लम्हे एक बार फिर ले आये
के तू फिर ऐसी ही किसी सफ़र में मुझसे रूबरू हो जाये
राखी शर्मा

No comments:

Post a Comment