गीता आत्मा की शुद्घि है और जिंदगी का सार है । गीत एक ऐसी सोच है जिसे हर कोई समझ नही सकता न ही ये इतनी जल्दी समझ आती है पर जब ये समझ आने लगती है तो जिंदगी की कड़वी सचाइयों से रूबरू कराती है इसमें न कोई ढोंग है न ही कोई प्रपंच । इसे पढ़कर दुनियादारी की समझ बढ़ जाती है और मौत और जिंदगी के बीच का फासला समझ आता है । गीता वैसे तो हिंदुत्व का आइना है पर ज्ञान के वो चक्षु है जो ईश्वर की उस रौशनी तक ले जाते है जहाँ नर और नारायण में कोई फ़र्क़ नही रह जाता ।
गीता न तो कोई धारणा न ही कोई किताब बल्कि एक इंकलाब है आत्मा और परमात्मा को बीच के अंतर की समझ को बढ़ाता है ।अगर हम चाहते हैं हमारे कर्म और उनसे होने वाली ग्लानि से हम बचें रहे तो गीता को हमे अंगीकार करना ही होगा । गीता एक औसत विचार है जो मनुष्य की सोच से परे उसके कर्मों और उनसे होने वाली ग्लानियों का चिंतन द्वारा सही और गलत की समझ को मनुष्य को प्रदान करती है । गीता में दी गयी बातें बड़ी गुढ़ हैं जिनको समझ पाना सबके बस की नही पर जो एक बार समझ गया फिर उसको दुनिया की फिकर भी नही ।
बस एक बार उस ग्रन्थ को पढ़े अवश्य ।चाहे हिन्दू हो या और किसी भी धर्म को मानने वाले एक बार गीता को पढ़ें। आपको खुद ही लगेगा कि सच में आप अब तक कुछ सच्ची बातों से अनजान थे ।
कृष्ण की कही बातों का बस थोडा सा समावेश अपने जीवन में करके तो देखे शायद आपका जीवन बदल जाए ।
गीता की धर्म को नही दर्शाती अपितु सारी मानवजाति और इंसानियत को सुमार्ग पर ले जाने हेतु उत्तम तथ्यों को दर्शाती है ।
#राखी
Thursday, June 30, 2016
गीता
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